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स्वतंत्रता सेनानी लाला जगत नारायण की 44वीं पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविर

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मोहम्मद आलम

रोसड़ा (समस्तीपुर):मिर्जापुर स्थित एस.के.पब्लिक स्कूल में पंजाब के पूर्व शिक्षा मंत्री, प्रखर स्वतंत्रता सेनानी और प्रसिद्ध पत्रकार लाला जगत नारायण की 44वीं पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने रक्तदान कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम का शुभारंभ

इस कार्यक्रम का उद्घाटन रोसड़ा थाना के पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष लालबाबू कुमार ने फीता काटकर किया।स्वतंत्रता सेनानी लाला जगत नारायण के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। साहित्यकार एवं संपादक संजीव कुमार सिंह ने अध्यक्षता करते हुए उनके संघर्षपूर्ण जीवन और पत्रकारिता की निर्भीकता पर प्रकाश डाला।
थानाध्यक्ष लालबाबू कुमार व स्कूल निदेशक राजेश रोशन उर्फ नीलकमल ने भी उनके जीवन आदर्शों को याद करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी को उनके त्याग और बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।

देशभक्ति का माहौल

कार्यक्रम में देशभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं का पाठ हुआ। स्कूल निदेशक नीलकमल ने स्वागत भाषण दिया और सभी अतिथियों को सम्मानित किया।
इस अवसर पर शकुंतला किरण, मधुबाला श्रीवास्तव, अर्जुन कुमार समेत शहर के अनेक गणमान्य लोग, शिक्षक-शिक्षिकाएँ और पत्रकार मौजूद रहे।
लाला जगत नारायण: जीवन और योगदान
जन्म: 31 अक्टूबर 1899 को वजीराबाद (गुजराँवाला, वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ।वे बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े और महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल भी गए।

आज़ादी के बाद वे पंजाब के शिक्षा मंत्री बने और शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों के लिए जाने गए।वे प्रखर पत्रकार भी थे। उन्होंने हिन्द समाचार समूह की स्थापना की और पत्रकारिता के माध्यम से समाज में राष्ट्रभक्ति व जागरूकता की अलख जगाई।सच्चाई और निष्पक्ष लेखन के कारण उन्हें कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 9 सितंबर 1981 को आतंकवादियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि कलम और विचार तानाशाही, आतंक और अन्याय के खिलाफ़ सबसे बड़ा हथियार है।
श्रद्धांजलि का संदेश"
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि लाला जगत नारायण का जीवन त्याग, संघर्ष और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है।उनकी पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविर आयोजित कर यह संदेश दिया गया कि समाज सेवा ही उनकी सच्ची विरासत है।

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